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Quantum Physics And Adhyatma : क्या Higgs Field ही ब्रम्ह है? जिसे हम ब्रम्हांड निर्माता के रूप में देखते है।
Tuesday, February 4, 2025
क्या Higgs Field और ब्रम्ह वास्तव में एक ही है ?
quantum physics जिस Higgs Field का बात करता है, क्या उसे अध्यात्म में हम ब्रम्ह के नाम से जानते है ? वेद, उपनिषदों, और पुराणों में की गयी ब्रम्ह की व्याख्या क्या क्वांटम फिजिक्स में हिग्ग्स फील्ड की व्याख्या से मेल खाते है? क्या हिग्स क्षेत्र ही ब्रम्ह है? इन सभी प्रश्नों को हम विस्तार से जानेंगे ।
Quantum Physics And Adhyatma के इस कड़ी में हमारा यह दूसरा आर्टिकल है, जिसमे हम Higgs Field और ब्रम्ह की समानताओं पर विस्तार से अध्ययन करेंगे। इस से पहले हमने "क्या अध्यात्म ही क्वांटम फिजिक्स है?" इसपर एक विस्तार से आर्टिकल लिखा है, जो आप पढ़ सकते है।
सब से पहले हम हिग्ग्स फील्ड को विस्तार से जानेंगे ,
हिग्स क्षेत्र (Higgs Field) की खोज और इसके कणों की विस्तृत जानकारी
सबसे पहले जानते है, हिग्स फील्ड क्या है?
हिग्स क्षेत्र (Higgs Field) क्या है?
हिग्स फील्ड एक ऐसा अदृश्य कणीय क्षेत्र (scalar field) है, जो पूरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है। यह कणों को द्रव्यमान (mass) प्रदान करता है।
सन् 1964 में पीटर हिग्स और उनके साथियों François Englert एवं Robert Brout ने इस क्षेत्र के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी। इसके आधार पर ही हिग्स बोसॉन (Higgs Boson) की अवधारणा आई, जिसे "गॉड पार्टिकल" भी कहा जाता है।
हिग्स फील्ड (Higgs Field) की खोज कैसे हुई?
हिग्स बोसॉन को सिद्ध करने के लिए युरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन(CERN) के वैज्ञानिको ने लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) का उपयोग किया। और सन 2012 को हिग्स बोसॉन की खोज की पुष्टि की।
LHC में दो प्रोटॉन बीम्स को लगभग 299,792,458 मीटर/सेकंड (लगभग प्रकाश की गति) से टकराया गया। इस टक्कर से एक नए कण के होने के संकेत मिले, जिसका द्रव्यमान लगभग 125 गीगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट (GeV) पाया गया, जो हिग्स बोसॉन के सैद्धांतिक अनुमान से मेल खाता था।
Higgs Field में क्या होता है ?
हिग्स बोसॉन (Higgs Boson): यह हिग्स क्षेत्र का कण है, जो दूसरे कणों को द्रव्यमान देने का कार्य करता है।
हिग्स वेक्यूम (Higgs Vacuum): यह ऊर्जा से भरपूर क्षेत्र है, जिससे सभी कण गुजरते हैं और द्रव्यमान प्राप्त करते हैं।
गॉज बोसॉन (Gauge Bosons): यह कण मौलिक बलों (fundamental forces) को ले जाने का कार्य करते हैं।
हिग्स क्षेत्र के बिना क्या होगा?
अगर हिग्स क्षेत्र न होता तो क्या होता, इस पर वैज्ञानिक मानते है की, अगर हिग्स फ़ील्ड मौजूद ना होती तो सभी मूलभूत कण (क्वार्क्स और लेप्टॉन्स) बिना द्रव्यमान के होते। परमाणु नहीं बनते, क्योंकि प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का अस्तित्व संभव नहीं होता।साथ ही बिना किसी पदार्थ के हमारा ब्रह्मांड पूरी तरह से एक ऊर्जा का समुद्र होता।
याने हम समझ सकते है की Higgs Field ब्रम्हांड निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।
अब हम जानते है की अध्यात्म में ब्रम्ह की क्या वाख्या की गयी है। वैसे तो वेदों और अन्य कई उपनिषदों में ब्रम्ह की व्याख्या को हमें गौर से देखना होगा।
अध्यात्म में ब्रम्ह विचार एवं दर्शन
"ब्रह्म" हिंदू दर्शनशास्त्रयाने अध्यात्म में सर्वोच्च सत्ता और संपूर्ण सृष्टि निर्माण का मूल सिद्धांत माना जाता है। इसे "परम सत्य", "निर्गुण" और "अव्यक्त" भी माना जाता है। ब्रह्म का वर्णन वेदों, उपनिषदों, महाभारत, गीता और अन्य ग्रंथों में भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से किया गया है।
ऋग्वेद - ऋग्वेद के नासदीय सूक्त (10.129) में ब्रह्म को "सृष्टि से पहले की एकमात्र सत्ता" कहा गया है, जो न सत् था, न असत्। इसमें कहा गया है कि "उस समय न आकाश था, न मृत्यु थी, न अमरता थी। केवल एक 'एक तत्व' था जो स्वयंसिद्ध था।"
यजुर्वेद - इसमें ब्रह्म को "सर्वत्र व्यापक", "अव्यक्त" और "अपरिवर्तनीय" बताया गया है।"ईशावास्योपनिषद्" (यजुर्वेद का भाग) में कहा गया है: "ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्।" (ब्रह्म ही संपूर्ण जगत में विद्यमान है।)
सामवेद - सामवेद ब्रह्म को "नाद" और "ध्वनि" के रूप में प्रस्तुत करता है। ब्रह्म का अनुभव "ऊँ" (ॐ) के माध्यम से किया जाता है, जो सम्पूर्ण अस्तित्व की ध्वनि है।
अथर्ववेद - इसमें ब्रह्म को "सर्वशक्तिमान", "अद्वैत" और "निर्गुण" बताया गया है। अथर्ववेद का "प्रश्नोपनिषद" ब्रह्म की उत्पत्ति और आत्मा से उसके संबंध को स्पष्ट करता है।
बृहदारण्यक उपनिषद - यह सबसे बड़ा उपनिषद है और इसमें ब्रह्म को "अद्वैत" (non-dual) बताया गया है, एक प्रसिद्ध श्लोक: "अहं ब्रह्मास्मि" (मैं ही ब्रह्म हूँ।) इसका अर्थ है कि आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं।
छांदोग्य उपनिषद - इसमें ब्रह्म को "सत्" (अस्तित्व), "चित्" (चेतना), और "आनंद" (परमानंद) के रूप में परिभाषित किया गया है। एक महत्वपूर्ण उपदेश: "तत्त्वमसि" (तू ही वह ब्रह्म है।)
माण्डूक्य उपनिषद - यह केवल 12 श्लोकों का है और "ॐ" के रहस्य को समझाता है। इसमें बताया गया है कि ब्रह्म चार अवस्थाओं में विद्यमान है:
- जाग्रत अवस्था (वैश्वानर) - स्थूल जगत का अनुभव।
- स्वप्न अवस्था (तैजस) - मानसिक जगत।
- सुषुप्ति (प्राज्ञ) - गहरी निद्रा।
- तुरीय - आत्मा का ब्रह्म से एकत्व।
कठोपनिषद - इसमें ब्रह्म को "अमृतत्व" कहा गया है। नचिकेता और यमराज के संवाद में ब्रह्म की व्याख्या की गई है: "न जायते म्रियते वा विपश्चित्।" (ब्रह्म न जन्मता है, न मरता है।)
अद्वैत वेदांत - में ब्रह्म आदि शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत में ब्रह्म को "निर्गुण, निराकार" कहा गया है। "ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या" (ब्रह्म सत्य है, जगत मिथ्या है।)
अन्य ग्रंथों में ब्रह्म का उल्लेख
योग वशिष्ठ - ब्रह्म को "अनंत ऊर्जा" कहा गया है। ऋषि वशिष्ठ श्रीराम को समझाते हैं कि ब्रह्म से ही यह संपूर्ण सृष्टि उत्पन्न होती है।
ब्रह्मसूत्र - "ब्रह्म सूत्र" (व्यास रचित) में बताया गया है कि ब्रह्म "सर्वव्यापी" है।इसमें कहा गया है:
"जन्माद्यस्य यतः" (ब्रह्म ही समस्त सृष्टि का मूल कारण है।)
क्या Higgs Field ही ब्रम्ह है?
मुझे लगता है की Higgs Field और अध्यात्मिक ब्रम्ह विचार में हम कई तरह से समानताएं प्राप्त करते है , जैसे हिग्स फील्ड Vacuum Energy का प्रतिनिधित्व करता है जिसे हम Zero-Point Energy कहते है और यह आध्यामिक दर्शनशास्त्र के ब्रम्ह से बिलकुल मेल खाती है।
साथ ही क्वांटम फिजिक्स यह भी कहता है की अगर Higgs Field नहीं होता तो मुलभुत कणों को द्रव्यमान प्राप्त नही होता और उसके बिना परमाणुओं का विकास असम्भव था, याने ब्रम्हांड निर्माण के लिए ये सीधे तौर पर जिम्मेदार है। और ये बात कहीं न कहीं ब्रम्हतत्व से काफी मेल खाती है, जो सभी कणों को अस्तित्व देता है।
निष्कर्ष
मुझे लगता है की अभी भी हमने और कई तरह के विचारों की आवश्यकता है, क्यों की दोनों ही शास्त्र अपने अपने विचारों के साथ आगे बढ़ते है ,जो कई बार समानताओं को भी प्राप्त कर सकते है, लेकिन ये कहना बिलकुल ही उचित नही होगा की वास्तव में ब्रम्ह ही higgs field है।
मुझे लगता है की हमने इस बातों को भी जांचने की जरूरत है जिसे अध्यात्मिक विचारों में प्रगत किया गया हो लेकिन अभी भी क्वांटम फिजिक्स में वे बाते सिद्धान्तिक तौर पर ही हो।
मुझे लगता है की इसपर गहन चर्चाएँ संभव है।